गौठान निर्मित वर्मी कम्पोस्ट को बेचने किसानों पर डाला जा रहा दबाव
प्रति एकड़ 1 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट की खरीदी की गई अनिवार्य
कंकड़-मिट्टी मिले अमानक वर्मी कम्पोस्ट से उत्पादन कैसे बढ़ेगा ? किसान दुविधा में।
जांजगीर. छत्तीसगढ़ में प्रत्येक किसान को वर्मी कम्पोस्ट की खरीदी अनिवार्य कर दी गयी है। आदेश पालन न करने की दशा में किसान नकद के साथ किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से भी वंचित कर दिया जाएगा।
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रशांत सिंह ठाकुर ने शासन के इस निर्णय का विरोध करते हुए इसे किसानों के साथ ब्लेकमेलिंग कहा है। उन्होंने आगे कहा कि एक ऐसी योजना जो जमीनी स्तर पर बुरी तरह फ्लॉप हो चुकी हो और शर्मिंदगी तथा जांच से बचने जिसमे आंकड़ों का खेल खेला जा रहा हो, में किसानों के ऊपर सारा ठीकरा फोड़ा जा रहा है। दबावपूर्वक- ब्लेकमिलिंग कर अपने उत्पाद को बेचना किसानों के साथ अन्याय है, जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।
ज्ञात हो कि शासन द्वारा प्रदेश भर की साख सोसायटियों के माध्यम से गौठान में बनने वाले खाद का विक्रय किया जाता है। किसी भी प्रकार की खरीदी वैकल्पिक ही रहती रही है। किसान को जिस वस्तु की जितनी मात्रा में जरूरत हो ले सकता है। परंतु विगत 1 माह से छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्मी कम्पोस्ट की खरीदी वैकल्पिक की जगह अनिवार्य कर दी है। नए नियम के मुताबिक अब किसानों को प्रति एकड़ 1 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट लेना अनिवार्य कर दिया गया है, ऐसा नहीं करने पर उनको जरूरत की दूसरी चीजों से वंचित किया जा सकता है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि किसानों को जिस वर्मी कम्पोस्ट को खरीदने बाध्य किया जा रहा है , वह मानकों को पूरा भी नहीं करता। वर्मी कम्पोस्ट की बोरियों में मिट्टी की मिलावट को स्पष्ट देखा जा सकता है। सच तो यह है कि गौठान के रिकार्ड में जितनी खाद का उत्पादन बताया जा रहा , यथार्थ में उतना है ही नहीं। इस स्थिति में गौठान की असफलता को छिपाने फर्जी आंकड़ों का सहारा लिया जा रहा है।
भाजपा नेता प्रशांत सिंह ठाकुर ने इसे शासन और प्रशासन का संयुक्त भ्रष्टाचारी उपक्रम कहा है, जिसका अंतिम लक्ष्य किसानों के हितों पर प्रहार करना है। किसानों के मत ,उनकी पीड़ा को नज़र अंदाज़ कर जारी किए गए इस नए फरमान के बाद गौठान को ‘किसान अन्याय योजना’ कहा जाना उचित होगा।
शासन को आपाधापी में प्रारम्भ किये गए गौठान को पहले व्यवस्थित करना चाहिए , साथ ही वर्मी कम्पोस्ट के सम्बंध में किसानों के मध्य जागरूकता लाने प्रयास करना चाहिए। इन सबके अभाव में अमानक वस्तु को लेने किसानों को बाध्य किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है , जो किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है।
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